Thursday, December 31, 2009

नया तराना नये साल का

उम्मीदों भरा क्या नया साल होगा ?
हर देशवासी क्या खुशहाल होगा ?

सभी को सुबह शाम रोटी मिलेगी
या मंहगाई का फिर महाजाल होगा ?

क्या अपराधियों की भी आयेगी शामत
या फिर पहुंच का उन्हें ढ़ाल होगा ?

करेगा दलाली वो काटेगा चाँदी
जो खेती करेगा क्या बदहाल होगा ?

मेरे देशवासी क्या सोयेंगे भूखे
कसाबों की थाली में तरमाल होगा ?

समझ लो नया साल अच्छा ही होगा
अब क्या इससे ज्यादा बुरा हाल होगा ?

Saturday, December 19, 2009

एहसास

रात भर हम तो करवट बदलते रहे
दिल के अरमान अश्कों में ढ़लते रहे ।

फूल घायल करेंगे नहीं इल्म था
हम तो कांटों से बच के निकलते रहे ।

धूप में पांव जल न जायें कहीं
घनी अमराइयों में ही चलते रहे ।

बात करनी बहुत थी ,मगर जब मिले
शब्द निकले नही होंठ हिलते रहे ।

मुझपे गैरों का हर वार खाली गया
मेरे अपने मुझे रोज छलते रहे ।

जब दुआ मांगना तो यही मांगना
सबके चूल्हे सुबह शाम जलते रहे ।

राज उनकी तरक्की का इतना सा है
रोज चेहरे पे चेहरे बदलते रहे ।

जब कमाने लगा तो अलग हो गया
बूढ़े माता पिता हाथ मलते रहे ।

Saturday, December 5, 2009

इश्क की बात

इश्क की बात हम बताते हैं, एक ताजा गज़ल सुनाते हैं ।
उनकी यादों से सजाया है इसे , प्यार से लोग गुनगुनाते हैं ॥

नाज़ है गुल को अपने किस्मत पे
पहले चूमा गया मुहब्बत से ।
अदा के साथ उसको जूड़े में
हाथ महबूब के लगाते हैं ॥

क्या करें जिक्र हम , शबे ग़म की
कैसे कटती है रात पूनम की ।
याद के इन हसीन लम्हों में
चाँद तारे ज़मीं पे आते हैं ॥

बाग में आज देखकर उनको
एक छोटा सा शक हुआ मुझको ।
सारे गुल उनके ज़ुल्फ से खुशबू
रंग रुखसार से , चुराते हैं ॥