Saturday, March 27, 2010

मिलने जब आउंगा

सुन लो हे प्राणप्रिये , मिलने जब आउंगा ।
सारी रात पूनम की , जाग कर बिताउंगा ॥

रास्ते में चलते चलते , लोग ठहर जायेंगे ।
और सारे भौंरे भी राह भूल जायेंगे ।
 खुशबुएं लुटाउंगा , बाग इक बनाउंगा ।
तेरी जुल्फ फूलों से , इस तरह सजाउंगा ॥

कर के मुझे मदहोश , जब झुमाना चाहोगी ।
मुझको जाम प्याले से , जब पिलाना चाहोगी ।
मैं उसे हटा दुंगा , कुछ करीब आउंगा ।
अधरों से अधरों को , एक में मिलाउंगा ॥

बादलों के पीछे से , चाँद कैसे निकला था ।
ये अंधेरा रोशनी में , धीरे धीरे बदला था ।
लोगों को बताउंगा , करके मैं दिखा दुंगा ।
तेरे रुख से घूंघट को , धीरे से उठाउंगा ॥

Monday, March 8, 2010

औरत का सम्मान करो----

औरत का सम्मान करो , औरत संसार की ज्योती है ।
जिसने हम सबको जन्म दिया , वो जननी औरत होती है ॥

जो करती भाईदूज के दिन , भाई के माथे पर टीका ।
राखी के दिन राखी बांधे , वो बहना औरत होती है ॥
औरत का सम्मान करो , औरत संसार की ज्योती है ॥

उसके बिन सभी अधूरा है , घर लगता नहीं है घर जैसा ।
घर का स्वरूप देने वाली , पत्नी भी औरत होती है ॥
औरत का सम्मान करो , औरत संसार की ज्योती है ॥

बच्चा न जने तो अपमानित , बेटी जन्मे तो अपमानित ।
क्या पुरुष का कोई दोष नही , क्यों दोषी औरत होती है ॥
औरत का सम्मान करो , औरत संसार की ज्योती है ॥

जब महिला दिवस मनाते हैं , होती हैं बातें बड़ी बड़ी ।
फिर चिंता किसे कौन देखे , किस हाल में औरत होती है ॥
औरत का सम्मान करो , औरत संसार की ज्योती है ॥