Sunday, August 26, 2012

तुम सदा ऐसे ही मुस्कुराना--(अजय की गठरी)

चांदनी का शमां ये सुहाना , जाने किसको बनाये दीवाना ।
देखकर मुझको तिरछी नजर से , दिल में सीधे उतरती हो जांनां ॥

मैं हूं आशिक तेरा हुश्नवाले , अपनी आंखों में मुझको बसा ले ।
ये निगाहें तेरी जादुई हैं , ये निगाहें तेरी कातिलाना ॥

आज पीने दे जी भर के साकी , कल से छोड़ुंगा पीना मैं साकी ।
आज प्याले को रख दो बगल में , आज नजरों से मुझको पिलाना ॥

मैं इबादत करुंगा तुम्हारी , दौलत-ए-हुश्न मुझको है प्यारी ।
हुश्न तेरा गजब ढा रहा है , फिदा तुझ पर है तेरा दीवाना ॥

लब पे मुस्कान मासूम चेहरा ,ख्वाब को मेरे कर दो सुनहरा ।
हुश्न का गहना है मुस्कुराहट , तुम सदा ऐसे ही मुस्कुराना ॥

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अजय कुमार (गठरी पर)
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Sunday, August 5, 2012

आइये--ले जाइये

है बहारों का शमां , ऐ सनम आ जाइये ।
मुस्कुराना हुश्न का जेवर है , कुछ मुस्काइये ॥

आप के बिन महफिलों में , आती नहीं बहार है ,
शाम-ए-महफिल में जरा , कुछ देर को आ जाइये ॥

आप आती हैं तो रौनक , दिल में मेरे आती है ,
दिल का कहना है कि बस , कुछ और ठहर जाइये ॥

पास मेरे कुछ नहीं है ,धड़कते दिल के सिवा
आइये पहलू में मेरे , दिल मेरा ले जाइये ॥